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आज का वचन

परमेश्वर हमेशा अपना वचन निभाते हैं


मत्ती रचित सुसमाचार

यीशू मसीह की वंशावली 1:1-17

यहाँ पर मत्ती का इरादा क्या था, उसने बाद में स्पष्ट किया कि यीशू मसीह ने नैतिक रूप से प्रतिकूल लोगों पर दया की और सभी देशों को शामिल करने के लिए अपने राज्य का विस्तार किया।

अंत में, आइए विचार करें...


(3). बात:- इस वंशावली से हमारे सीखने के लिए क्या है?

A. परमेश्वर हमेशा अपना वचन निभाते हैं...

1). उसने वादे किये...

a. अब्राहम से

b. दाऊद से

c. यशायाह के माध्यम से...और दाऊद के पुत्र, इब्राहीम के पुत्र, यीशु के आगमन ने वह वादा पूरा किया!


2). इसलिए हम भरोसा रख सकते हैं कि परमेश्‍वर अपना वचन निभाएगा!

a. उदाहरण के लिए, उनके बेटे के अंतिम आगमन का वादा,


प्रेरितों के काम 1:9-11

9 यह कहकर वह उन के देखते देखते ऊपर उठा लिया गया; और बादल ने उसे उन की आंखों से छिपा लिया।


10 और उसके जाते समय जब वे आकाश की ओर ताक रहे थे, तो देखो, दो पुरूष श्वेत वस्त्र पहिने हुए उन के पास आ खड़े हुए।


11 और कहने लगे; हे गलीली पुरूषों, तुम क्यों खड़े स्वर्ग की ओर देख रहे हो? यही यीशु, जो तुम्हारे पास से स्वर्ग पर उठा लिया गया है, जिस रीति से तुम ने उसे स्वर्ग को जाते देखा है उसी रीति से वह फिर आएगा॥


b. हमें हिम्मत हारने की कोई जरूरत नहीं है!

1. इस वादे और उसके पूरा होने के बीच की अवधि इब्राहीम से किए गए वादे

और उसके पूरे होने के बीच के समय तक ही पहुंची है!

2. यानी, 2000 साल बीत गए, लेकिन भगवान ने फिर भी इब्राहीम से किया

अपना वादा निभाया

3. उसी तरह वह हमसे किया अपना वादा निभाएगा!

B. ईश्वरत्व विरासत में नहीं मिलता...

1). कई धर्मात्मा पिताओं के अधर्मी पुत्र हुए हैं!

a. सुलैमान के पास रहूबियाम था

b. हिजकिय्याह के पास मनश्शे था

c योशिय्याह के पास यकोन्याह था

2). जैसा कि कहा गया है, " परमेश्वर के कोई पोता या पोती नहीं होती"

a. परमेश्वर की संतान होने का अर्थ यह नहीं है कि आपके बच्चे भी परमेश्वर की संतान होंगे!

b. माता-पिता के रूप में, आइए हम...

1. अपने बच्चों को "परमेश्वर के पालन-पोषण और चेतावनी" में बड़ा करने के

लिए मेहनती बनें

2. जब हमारे बच्चे भटक जाएँ तो हिम्मत मत हारिए (अंततः मनश्शे को भी पश्चाताप हुआ)

C. हमारे प्रभु की दया और करुणा की महानता...

1). जब यीशु मसीह मनुष्य की समानता में इस धरती पर आये तो उन्होंने स्वयं को दीन बना लिया –

पढ़ें फिलिप्पियों 2:5-8

6 जिस ने परमेश्वर के स्वरूप में होकर भी परमेश्वर के तुल्य होने को अपने वश में रखने की वस्तु न समझा।

7 वरन अपने आप को ऐसा शून्य कर दिया, और दास का स्वरूप धारण किया, और मनुष्य की समानता में हो गया।

8 और मनुष्य के रूप में प्रगट होकर अपने आप को दीन किया, और यहां तक आज्ञाकारी रहा, कि मृत्यु, हां, क्रूस की मृत्यु भी सह ली।

2). उसने हमारे लिए ऐसा किया!

a. यीशू मसीह ने हर किसी के लिए मौत का स्वाद चखा

पढ़ें इब्रानियों 2:9

9 पर हम यीशु को जो स्वर्गदूतों से कुछ ही कम किया गया था, मृत्यु का दुख उठाने के कारण महिमा और आदर का मुकुट पहिने हुए देखते हैं; ताकि परमेश्वर के अनुग्रह से हर एक मनुष्य के लिये मृत्यु का स्वाद चखे।

b. यीशू मसीह ने हमें अपनी महिमा में पंहुचाने के लिए ऐसा किया

पढ़ें इब्रानियों 2:10

10 क्योंकि जिस के लिये सब कुछ है, और जिस के द्वारा सब कुछ है, उसे यही अच्छा लगा कि जब वह बहुत से पुत्रों को महिमा में पहुंचाए, तो उन के उद्धार के कर्ता को दुख उठाने के द्वारा सिद्ध करे।

c. यीशू मसीह ने हमें मृत्यु के भय और शक्ति से मुक्ति दिलाने के लिए ऐसा किया

पढ़ें इब्रानियों 2:14-15

14 इसलिये जब कि लड़के मांस और लोहू के भागी हैं, तो वह आप भी उन के समान उन का सहभागी हो गया; ताकि मृत्यु के द्वारा उसे जिसे मृत्यु पर शक्ति मिली थी, अर्थात शैतान को निकम्मा कर दे।

15 और जितने मृत्यु के भय के मारे जीवन भर दासत्व में फंसे थे, उन्हें छुड़ा ले।

d. यीशू मसीह ने हमारे दयालु और वफादार महायाजक बनने के लिए ऐसा किया

पढ़ें इब्रानियों 2:16-18

16 क्योंकि वह तो स्वर्गदूतों को नहीं वरन इब्राहीम के वंश को संभालता है।

17 इस कारण उस को चाहिए था, कि सब बातों में अपने भाइयों के समान बने; जिस से वह उन बातों में जो परमेश्वर से सम्बन्ध रखती हैं, एक दयालु और विश्वास योग्य महायाजक बने ताकि लोगों के पापों के लिये प्रायश्चित्त करे।

18 क्योंकि जब उस ने परीक्षा की दशा में दुख उठाया, तो वह उन की भी सहायता कर सकता है, जिन की परीक्षा होती है॥

निचोड़:-

1). यह सब और इससे भी अधिक, यीशु ने वह बनकर किया जो मत्ती के सुसमाचार के पहले सत्रह छंदों में घोषित किया गया है: "...दाऊद का पुत्र, इब्राहीम का पुत्र"

2). यीशू मसीह की यह वंशावली...

a. यीशु के मसीहा होने का अधिकार स्थापित करता है

b. हमें परमेश्वर की दया की याद दिलाता है

1. राहाब, रूथ और बतशेबा के जीवन में

2. हमारे जीवनों में अपनी प्रतिगाओं को पूरा करने के लिए अपने पुत्र को हमारे पापों के लिए अपने पुत्र को भेजा

क्या आपको वह दया प्राप्त हुई है जो परमेश्वर "यीशु मसीह...दाऊद के पुत्र, इब्राहीम के पुत्र" के माध्यम से प्रदान करता है?